Friday, February 5, 2010

इसे विज्ञापन कतई ना समझे....


28 साल की रश्मि की पहली किताब, वो भी रूपा पब्लिकेशन से... इस पर तो चर्चा होनी ही चाहिए, चर्चा इसलिए होनी चाहिए क्योंकि मीडिया मौजूदा वक्त के सबसे चर्चित विषयों में शुमार है। इतना चर्चित कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन तक मीडिया पर बनी फिल्म में काम कर रहे हैं।
खैर, रश्मि की किताब पर लौटते हैं, रूपा पब्लिकेशन ने इस किताब को प्रकाशित किया है, ये इस बात का सबूत है कि इतने बड़े पब्लिकेशन हाउस को 28 साल की रश्मि की किताब के प्लॉट में बाजार नजर आता है। बाजार नजर आता है न्यूज रूम की उन गतिविधियों को पाठकों तक पहुंचाने में, जो हर रोज अखबार पढ़ते हैं- उनकी दिलचस्पी ये जानने में है कि जिस खबर को लिखने वाले पत्रकार को वो पढ़ते हैं, उसकी कहानी क्या है।
मैं रश्मि को कैसे जानता हूं, इसका एक किस्सा है। आईपीएल का दूसरा सीजन था। हम दक्षिण अफ्रीका में मैचों की कवरेज कर रहे थे। इसी दौरान करीबी दोस्त विवेक ने बताया कि उसकी एक दोस्त अपनी पहली किताब लिख रही है।
मुझे उर्दू के मशहूर शायर अहमद फराज की दी गई सलाह याद आ गई कि बरखुरदार जिंदगी में दो काम खूब सोच समझ कर करना- पहला शादी और दूसरा पहली किताब का लेखन।
अब कई बार लगता है कि शादी में तो देरी नहीं की लेकिन ज्यादा सोचने समझने लगा और इसी में किताब लिखने में देरी होती गई। मैंने 2003 में 25-26 साल की उम्र में ही शादी कर ली थी, पर उस वक्त से लाख सोचने के बावजूद किताब आज तक नहीं लिख पाया।
अरे, मैं ये क्या क्या लिखने लगा, इसे ही कहते हैं विषय से भटकना। तो विषय पर वापस लौटता हूं, तो रश्मि को वाया विवेक जानने के बाद इस बात का इंतजार कर रहा था कि उनकी किताब आए तो जरा देखूं कि कम उम्र में किताब लिखने का क्या कोई नुकसान भी है...
आप भी तो मानेंगे ना कि भाई जो मीडिया में काम करने वाले ज्यादातर लोग नहीं कर पाए वो रश्मि ने कर दिखाया है। उन्हें दाद दी जानी चाहिए, और दाद देने का सबसे आसान तरीका है उनकी किताब को पढकर उन्हें फीडबैक देना।

2 comments:

डॉ .अनुराग said...

हमें लगा आप इस किताब के अन्दर झांक के कुछ पन्नो को बाहर निकलकर ट्रेलर दिखायेगे ..खैर कुल मिलाकर खुद ही प्रयत्न करने पड़ेगे....

शिवेंद्र said...

अनुराग जी, इस पोस्ट को विज्ञापन ना समझने के साथ साथ बुक रीव्यू भी ना समझें :-)
मुझे किताब के कुछ ही पहलुओं की जानकारी है, मैं जब पूरी किताब पढ़ लूंगा तब जरूर समीक्षा करूंगा...लेकिन आपका फैसला सम्मान और तारीफ के काबिल है कि आप खुद ही प्रयत्न करेंगे।